14 अप्रैल के बाद कोरोना की उलटी गिनती शुरू

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भारतीय ज्योतिष के अनुसार शनि एवं सूर्य के योग से खड़ा हुआ विषाणुजनित महामारी का यह संकट इस संवत्सर 2077 में बुध और चंद्र के योग से खत्म होगा। यह गणनाएं गत वर्ष के पंचांगों में देखी जा सकती हैं। अब जब कहा जा रहा है कि 14 अप्रैल के बाद कोरोना की उलटी गिनती शुरू हो जाएगी, तो यह भी अजब संयोग है कि 21 दिन का लॉकडाउन भी तभी समाप्त हो रहा है।
बता दें कि एकाधिक भारतीय पंचांग गत वर्ष मार्च में प्रकाशित कैलेंडरों में इस बात के स्पष्ट संकेत दे चुके थे कि विषाणुजनित वैश्विक महामारी के योग बन रहे हैं। इसका समय भी दर्ज कर दिया गया था कि महामारी कब प्रारंभ होगी और कब समाप्त।
पिछले वर्ष के श्री हृषिकेश पंचांग ही नहीं  काशी हंिदूू विश्वविद्यालय पंचांग, श्रीविश्व पंचांग, गणोश आपा जी पंचांग, संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय पंचांग सरीखे अनेक प्रतिष्ठित पंचांगों में परिधावी संवत्सर में संवत्सर फल में महामारी के प्रकोप होने की गणना प्रकाशित हुई थी।
आपको बतादें कि  ज्योतिष शास्त्र में नए संवत्सर की शुरुआत सप्ताह के जिस दिन से होती है, वही उस वर्ष का राजा होता है, और उसी के अनुसार उस वर्ष के फल निर्धारित होते हैं। चूंकि परिधावी नामक पिछला संवत्सर शनिवार को शुरू हुआ था, इसलिए इसके राजा शनि एवं मंत्री सूर्य थे। जिसके कारण दुनिया को विषाणुजनित महामारी कोविड-19 के संकट से गुजरना पड़ रहा है। लेकिन नए संवत्सर 2077 की शुरुआत बुधवार, 25 मार्च 2020 से हुई है। इसलिए प्रमादी नामक इस संवत्सर का राजा बुध है। चंद्र यानी सोम इसके साथ मंत्री के रूप में विराजमान हैं। सूत्रों के अनुसार 14 अप्रैल, 2020 को सूर्य के मेष राशि में प्रवेश के साथ ही इस महामारी की तीव्रता कम होने लग जाएगी।
सूत्रों के अनुसार पता चला है कि भारत मे 30 मार्च के बाद महामारी का प्रकोप कम होगा। हालांकि, विश्व स्तर पर यह सितंबर में पूरी तरह नियंत्रित होगा। और  13 अप्रैल को मेष संक्रांति है। इसके बाद सूर्य का उच्च राशि में गमन होगा। तब शनि की दृष्टि सूर्य से हट जाएगी। ऐसे में 13 अप्रैल के बाद हमें स्थितियां अनुकूल होने की आशा करनी चाहिए।
विज्ञान की दुनिया आश्चर्य में है कि भला भारतीय ज्योतिष विज्ञानियों ने यह भविष्यवाणी साल भर पहले कैसे कर दी थी कि दुनिया को विषाणुजनित महामारी का प्रकोप झेलना होगा। कैसे यह गणना कर ली गई? दोस्तों अब दुनिया वाले  समझ सकेंगे कि भारत को विश्व गुरु क्यों कहा जाता है।

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