दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा पुस्तक “दलित मुस्लिम साहित्य और लेखक” का विमोचन

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दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा भारतीय राजनीतिक विश्लेषण और अनुसंधान परिषद् के तत्वाधान में दिनांक 13 मार्च 2023 को दोपहर 2.00 बजे डॉ. अयुब राईन द्वारा लिखित पुस्तक “दलित मुस्लिम साहित्य और लेखक” का विमोचन किया गया । दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के अध्यक्ष श्री सुभाष चंद्र कानखेड़िया की अध्यक्षता एवं महानिदेशक डॉ. आर. के. शर्मा के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यक्रम में अतिथि के रूप में भारत सरकार के मानव संसाधन मंत्रालय के रजिस्ट्रार डॉ. जयप्रकाश IAAS, दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के उपाध्यक्ष श्री परीक्षित डागर एवं  दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के सदस्य श्री दानिश इक़बाल उपस्थित रहे।

 दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की सहायक पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी श्रीमती उर्मिला रौतेला द्वारा मंच संचालन करते हुए बताया कि एक पुस्तकालय हेतु पुस्तक बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। बिना पुस्तक के पुस्तकालय का कोई औचित्य नहीं है। अतः पुस्तक विमोचन पुस्तकालय हेतु एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया बन जाती है।

 डॉ. आर. के. शर्मा ने कार्यक्रम के सभी विशिष्ट अतिथि एवं श्रोताओं का कार्यक्रम में स्वागत किया। उन्होंने बताया कि “दलित मुस्लिम साहित्य और लेखक” एक बहुत अच्छा विषय है और इस विषय पर अत्याधिक साहित्य भी उपलब्ध नहीं है ऐसे में यह पुस्तक बहुत महत्वपूर्ण है।

 विमोचन की गई पुस्तक के लेखक डॉ. अयुब राईन ने बताया कि यह उनके द्वारा लिखी गई यह पांचवी पुस्तक है। पुस्तक के शीर्षक के पीछे के भाव को समझाते हुए उन्होंने पुस्तक की विषय वस्तु पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि उन्होंने अपनी पुस्तक के माध्यम से दलित मुस्लिम समाज द्वारा सामना की जाने वाली विभिन्न समस्याओं एवं उनकी सामाजिक परिस्थिति की ओर सबका ध्यान आकर्षित करने का प्रयास किया है । साथ ही, उनके द्वारा लिखी गई अन्य पुस्तकों पर भी उन्होंने संक्षेप में चर्चा की और दलित मुस्लिम समाज की विभिन्न जातियों का विशद वर्णन प्रस्तुत किया I

श्री परीक्षित डागर ने कहा कि लगभग नौ वर्षों से देश में एक ज्वाला जल रही है, जोकि बदलाव की ज्वाला है। उन्होंने कहा कि कोई भी धर्म या जाति मानवता से ऊपर नहीं है। यह बहुत ही ज्वलंत मुद्दा है। इस विषय पर और भी पुस्तकें लिखी जानी चाहिए ताकि सभी का ज्ञान वर्धन हो सके और हम सब को भारत के सभी समुदायों के बारे में जानना चाहिए I

 श्री दानिश इकबाल ने कहा कि देश की आजादी के 75 वर्ष बाद एक ऐसे प्रधानमंत्री भारत को मिले हैं जिन्होंने पासमंदा समाज की ओर सबका ध्यान आकर्षित किया और जो इस समाज के उत्थान हेतु प्रयासरत हैं। उन्होंने बताया कि भारत की जनसंख्या में लगभग 85% मुसलमान पासमंदा समाज से हैं परंतु ये ही पासमंदा समाज सबसे अधिक शोषित भी है। उन्होंने पासमंदा समाज के उत्थान हेतु एवं उनके विकास हेतु चिंतनीय एवं क्रियाशील होने हेतु माननीय प्रधानमंत्री जी को धन्यवाद दिया। साथ ही, उन्होंने डॉ. अयुब राईन का ऐसे विषय को बेबाकी से राय सबके सम्मुख रखने हेतु साधुवाद किया ।

 डॉ. जयप्रकाश ने कहा कि  हम एक लोकतांत्रिक देश में रहते हैं जिसमे किसी एक समाज की समस्या सबकी समस्या है परंतु विडंबना यह है कि मुस्लिम समाज में जातिवाद व्याप्त है,  इस बात को मानने के लिए ही कोई तैयार नहीं है। उन्होंने ऐसे गंभीर पहलू को अपने पुस्तक के माध्यम से आगे लाने के लिए डॉ. अयुब राईन को धन्यवाद दिया और सभी से इस विषय पर संवेदनशील होने का निवेदन किया। उन्होंने इस पुस्तक को उपेक्षित समाज से जोड़ने वाली बताया तथा मुस्लिम समाज के पिछड़े एवं उपेक्षित व्यक्तियों के बारे में अन्य साहित्यकारों द्वारा की गई प्रस्तुति की बड़ी बेबाकी से समीक्षा प्रस्तुत की I

 श्री सुभाष चंद्र कांखेड़िया ने कहा की 70 सालों में यह प्रथम बार होगा कि दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी में दलित मुस्लिम पर चर्चा हो रही है। उन्होंने माननीय प्रधानमंत्री को इसके लिए प्रेरणा बताया। अंतोदय की बात करते हुए उन्होंने कहा कि उपेक्षित समाज के उत्थान की जिम्मेदारी हम सबकी है ।

 डॉ. अशोक सम्राट द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के पश्चात राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ  ।

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