नए प्रदेशाध्यक्ष सीपी जोशी भाजपा के विजयी गुणा भाग में सफल होगें !

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रामस्वरूप रावतसरे
भाजपा ने विधानसभा चुनाव से आठ महीने पहले राजस्थान संगठन में बड़ा बदलाव कर चौंकाया है। सतीश पूनिया की जगह चित्तौड़गढ़ से सांसद सीपी जोशी को भाजपा का नया प्रदेशाध्यक्ष बनाया गया है। पूनिया अपना तीन साल का कार्यकाल पूरा कर चुके हैं और उन्हें एक्सटेंशन भी दे दिया गया था। करीब-करीब तय था कि इस साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव तक पूनिया ही प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी संभालते रहेंगे।
एबीवीपी से राजनीतिक करियर की शुरुआत करने वाले सीपी जोशी संघ के नजदीक माने जाते हैं। सतीश पूनिया भी संघ बैकग्राउंड से ही आते हैं, अब उनकी जगह उन्हीं जैसे सियासी बैकग्राउंड के नेता को राजस्थान में संगठन की जिम्मेदारी दी गई है। 58 साल के पूनिया के मुकाबले जोशी(47) यंग भी हैं। सीपी जोशी चितौड़गढ़ लोकसभा क्षेत्र से साल 2014 से सांसद के पद पर है। उनके उत्कृष्ट काम के उन्हें दिल्ली के विज्ञान भवन में सम्मानित भी किया जा चुका है। सीपी जोशी का जन्म 04 नवम्बर 1975 को राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में हुआ था। इनके पिता का नाम रामचन्द्र जोशी और मां का नाम सुशीला जोशी है। सीपी जोशी ने राजस्थान के उदयपुर मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय से बीकॉम तक की पढ़ाई की है। वह अपने विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहते है और इन्होंने अपने स्कूल और कॉलेज टाइम पर कई चुनाव लड़े और जीत हासिल की।
सीपी जोशी के राजनीतिक करियर की शुरुआत में चित्तौड़गढ़ के राजकीय उच्चतम माध्यमिक विद्यालय से साल 1994-95 में छात्र संघ के उपाध्यक्ष पद पर रहे। इसके बाद में वह साल 1995-96 में जिला परिषद के सदस्य के रूप में काम करते हुए 2000-2005 तक अपने क्षेत्र के विकास के कार्य किए। साल 2005 से 2010 में वह भड़ेसर पंचायत समिति के उपप्रधान बनें और बाद में सीपी जोशी स्टेट वर्किंग कमेटी के सदस्य और चित्तौड़गढ़ क्षेत्रीय प्रभारी पद पर रहे। साथ ही वह भाजपा संघठन में भी सक्रिय रहे और राज्य उपाध्यक्ष, भारतीय जनता युवा मोर्चा राजस्थान, जिला उपाध्यक्ष, जिला अध्यक्ष, जिला महासचिव, जिला मंत्री, स्टेट वर्किंग कमेटी (दो बार) विभिन्न पदों पर रहे।
अपने क्षेत्र में सीपी जोशी के काम को देखते हुए उन्हें साल 2014 में आम चुनावों में उनके क्षेत्र चित्तौड़गढ़ लोकसभा सीट से टिकट दिया गया। सीपी जोशी इस सीट से सोलहवीं लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। बाद में 1 सितंबर 2014 से सदस्य, वाणिज्य संबंधी स्थाई समिति और इसके बाद परामर्शदात्री समिति, पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय के सदस्य भी रह चुके हैं। इसके बाद 14 नवंबर 2014 से वह रेल संबंधी स्थायी समिति और 1 सितंबर 2018 से स्वास्थ्य और परिवार कल्याण संबंधी स्थाई समिति जैसी विभिन्न संसदीय समितिओं के सदस्य भी रहे। सीपी जोशी वर्तमान में 2019 लोकसभा चुनाव में चित्तौड़गढ़ सीट से बीजेपी के टिकट पर चुनाव लड़े थे और भारी वोटों से जीते थे। जोशी भाजपा राजस्थान के 15वें अध्यक्ष और 7वें ब्राह्मण अध्यक्ष हैं । इससे पहले हरिशंकर भाभड़ा, भंवरलाल शर्मा, ललित किशोर चतुर्वेदी, महेश चंद्र शर्मा, रघुवीर सिंह कौशल और अरुण चतुर्वेदी ब्राह्मण प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं।
प्रदेश भाजपा में लगातार प्रदेश नेतृत्व को लेकर अंदरखाने सवाल उठते रहे हैं। भाजपा में प्रमुख नेताओं के अलग-अलग दौरे और आपसी मनमुटाव के किस्से हाईकमान तक भी पहुंच चुके थें। प्रदेश भाजपा में खेमेबाजी हाईकमान का सबसे बड़ा सिरदर्द थी। भाजपा में जहां वर्तमान प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, पूर्व सीएम वसुंधरा राजे, नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया, केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, अर्जुन मेघवाल सहित कई नेताओं के अपने-अपने गुट हैं। राजस्थान भाजपा में सीएम फेस की लड़ाई के बीच संगठन में इस बड़े बदलाव की चर्चाएं शुरू होने लगी थीं। पिछले दिनों दिल्ली में हुई कोर कमेटी की बैठक में भी यह मसला उछला। कई वरिष्ठ नेताओं के सवाल उठाने के बाद भाजपा में भी माना जा रहा था कि पार्टी चुनाव से पहले संतुलन साधेगी।
भाजपा संगठन से जुड़े लोगों का कहना है कि सीपी जोशी को प्रदेशाध्यक्ष बनाकर भाजपा ने अन्दर की खेमेबाजी को खत्म करने के साथ साथ मेवाड़ को साधने की कोशिश की है। मेवाड़ में ब्राह्मण और वैश्य भाजपा का बड़ा वोट बैंक है। उदयपुर से विधायक रहे गुलाबचंद कटारिया को असम का राज्यपाल बनाए जाने के बाद मेवाड़ में भाजपा के पास कोई प्रभावी नेता नहीं रह गया था। ऐसे में जोशी को नई जिम्मेदारी देकर भाजपा ने इस बेल्ट में खुद को मजबूत बनाने का प्रयास किया है। उदयपुर, राजसमंद, चित्तौड़गढ़ और बांसवाड़ा जिलों में ब्राह्मण और वैश्य वर्ग का खासा वोट बैंक है।
जोशी भाजपा की गुटबाजी से दूर रहे हैं, लेकिन पूर्व सीएम वसुंधरा राजे के गुट के साथ कैसे तालमेल बिठाते हैं, इस पर सबकी नजर रहेगी। क्योंकि सतीश पूनिया साढ़े तीन वर्ष पहले जब अध्यक्ष बने थे, तब से अब तक पूनिया को वसुंधरा राजे द्वारा खड़ी की गई चुनौतियां से मुकाबला करना पड़ रहा था। पूनिया ने राजे के जन्मदिन पर तीन बार तो शक्ति प्रदर्शन का ही सामना किया। राजे समर्थक विधायकों ने कभी विधानसभा में भेदभाव के पत्र लिखे तो कभी वसुंधरा राजे को मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाने की मांग की। डॉ. पूनिया के नेतृत्व में जब कभी संगठन मजबूत नजर आया, तब राजे समर्थकों ने टांग खींचने का भी पूनिया ने पूरी मजबूती के साथ मुकाबला किया। अब जब पूनिया की जगह सीपी जोशी अध्यक्ष बन गए है, तब देखना होगा कि वसुंधरा राजे का क्या रुख रहता है।
राजस्थान में सतीश पूनियां को एक्सटेंशन देने के बाद उनकी जगह सीपी जोशी को नियुक्त करना कई प्रकार के प्रश्नों को जन्म देता है। क्या प्रदेश भाजपा में गुटबाजी चर्म पर पहुच गई थी? याकि सतीश पूनियां सभी लोगों को एक साथ करने में सफल नहीं हो पा रहे थे ! क्या सतीश पूनियां को विधान सभा चुनाव से पहले हटाकर जोशी को कमान देना पार्टी के हित में रहेगा! राजनीतिक पंडितों के अनुसार अध्यक्ष बदलने के बाद भाजपा में गुटबाजी कितनी खत्म होगी, कहा नहीं जा सकता। लेकिन जिस महत्कांक्षा के चलते गुटबाजी चल रही थी। वह आज भी वहीं खड़ी है, वे आगे भी चाहेंगे कि सब कुछ उनके ही मुताबिक हो, ऐसे में सभी वर्गों/ गुटों को साथ लेकर चलना सीपी जोशी के लिए कठिनाई भरा हो सकता है।

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