लाल बिहारी लाल
दो-दो दीप जलायें आज
खुशियों बरसे सारी रात I
एक दीप हो अपने लिये
दूजे हो पडोसी के हाथ
एक दीप दीन-दुखियो खातिर
दूजे हो अमिरों के साथ ।
दो-दो दीप जलायें आज……
एक दीप से दूर अंधेरा
दूजे करे भाईचारे की बात
एक दीप से रौशन घर–आंगन
दूजे से रौशन जग-संसार।
दो-दो दीप जलायें आज……
एक दीप से जले बुराई
दूजे से फैले अच्छाई
आस-पास हो साफ सफाई
दिग-दिगंत फैले यह बात
दो-दो दीप जलायें आज…….
एक तो दूर पटाखों से
दूजे दूर चीनी लाइटों से
दीप जलायें मिट्टी का
दे “लाल” को ये सौगात
दो-दो दीप जलायें आज……