दिनांक 19 जनवरी 2023 को प्रातः 11.00 बजे एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया । कार्यक्रम में दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के अध्यक्ष श्री सुभाष चंद्र कानखेड़िया, महानिदेशक डॉ. रविन्द्र कुमार शर्मा, दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के उपाध्यक्ष श्री परीक्षित डागर, दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड सदस्या डॉ. विभा लाल चावला, भारत में कोलंबिया दूतावास से सुश्री अलेजांद्रा मारिया रोड्रिगेज सिएरा, एच.ई. चार्जी डी अफेयर्स, श्रीमती एंजेलिका पेटिनो रेपिज़ो, द्वितीय सचिव और कांसुलर एवं दिल्ली विश्वविद्यालय से स्पेनिश प्रोफेसर सुश्री मिन्नी साहनी उपस्थित रहे ।
श्री नरेंद्र सिंह धामी, पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी, दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा मंच संचालन करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा रखी गई तथा उन्होंने बताया कि पुस्तकें हमें बेहतर मनुष्य बनाती हैं तथा हमें एक दूसरे से जोड़ने में सहायक बनती हैं।
अध्यक्ष श्री सुभाष चंद्र कांखेड़िया द्वारा भारतीय परंपरा अनुसार सभी गणमान्य अतिथियों एवं श्रोताओं का कार्यक्रम में स्वागत किया गया । इस अवसर पर भारत में कोलंबिया दूतावास द्वारा दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के अध्यक्ष श्री सुभाष चंद्र का कानखेड़िया को स्पेनिश पुस्तकें उपहार स्वरुप प्रदान की गयीं । श्री परीक्षित डागर ने वसुदेव कुटुम्बकम के भाव के साथ ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से समृद्ध देश कोलंबिया के राजदूतों का कार्यक्रम में स्वागत किया । श्रीमती विभा लाल चावला ने बताया कि कोलंबिया को किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है । कोलंबिया ऐतिहासिक और सांस्कृतिक रूप से बहुत समृद्ध देश है । यह स्वदेशी सभ्यता, समृद्ध इतिहास, साहित्य और विशेषकर कोलंबियाई पन्ने के लिए यह देश प्रसिद्ध है । यह हमारा सौभाग्य है कि हमें इस समृद्ध साहित्य से जुड़ने का अवसर मिला है । डॉ. मिन्नी साहनी ने बताया कि एक साहित्यिक सम्मेलन में सम्मिलित होने के लिए उन्हें कोलंबिया की राजधानी बोगोटा जाने का अवसर प्राप्त हुआ । कोलंबिया की मूर्तिकला, सामाजिक कार्यक्रमों के प्रति संवेदनशीलता, अपने साहित्य की सुरक्षा और सम्मान की भावना उसे अन्य राष्ट्रों से अलग बनाती है । वहां के संग्रहालय भी अत्यधिक समृद्ध और जानकारी पूर्ण हैं ।
सुश्री अलेजांद्रा मारिया रोड्रिगेज सिएरा ने स्पेनिश में एक कविता का पाठ किया तत्पश्चात उसका अंग्रेजी में अनुवाद प्रस्तुत किया । उन्होंने बताया कि भारत में कोलंबियाई दूतावास द्वारा दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी को उपहार में दी गई अठारह पुस्तकें विभिन्न परिस्थितियों, ग्रामीण, प्रवासी महिला लेखकों द्वारा लिखी गई हैं जो उनके प्रेम, जुनून, आशा, देवत्व, धरती मां की सुंदरता का चित्रण करती हैं । उन्होंने पुस्तकालय में कोलंबियाई साहित्य को स्थान प्रदान करने के लिए दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी को धन्यवाद दिया । साथ ही, उन्होंने सभी को स्पेनिश भाषा सीखने के लिए आमंत्रित किया । उन्होंने कहा कि यह पहली बार होगा जब भारत के पाठक भी इस साहित्य के माध्यम से कोलंबिया की महिलाओं की आवाज सुन सकेंगे ।
श्रीमती एंजेलिका पेटिनो रेपिज़ो ने बताया कि कोलंबिया का इतिहास कठिन और हिंसा से भरा हुआ है । परन्तु अब बहुत कुछ बदल चुका है । हम दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि विकास के लिए कठिनाई मूलभूत स्तंभ है । कोलंबिया ने राख से उठकर इंसानियत को पाया है । उन्होंने एक स्पेनिश कविता भी सुनाई और अंग्रेजी में उसका अर्थ भी समझाया ।
महानिदेशक डॉ. आर. के. शर्मा ने कार्यक्रम में सम्मिलित होने हेतु सभी गणमान्य व्यक्तियों तथा श्रोताओं का हार्दिक आभार व्यक्त किया । कोलंबिया एवं दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के बीच की समानता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने बताया कि दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी की ही भांति यूनेस्को द्वारा कोलंबिया में बोगोटा पुस्तकालय की स्थापना की गई थी । उन्होंने कहा कि साहित्य पर मजबूत पकड़ और दुनिया को समझने के लिए भाषा पर अच्छी पकड़ होना जरूरी है । उन्होंने यह भी बताया कि पुस्तक प्रदान अधिनियम,1954 के अंतर्गत दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी एक प्राप्तकर्ता है, जिसके तहत भारत में प्रकाशित सभी साहित्य दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी को प्राप्त होता है । कोलंबियाई भाषा में साहित्य होना दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के लिए गर्व की बात है । उन्होंने कहा कि दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी में विदेशी भाषाओं के लिए अलग विभाग की व्यवस्था की जाएगी । श्री नरेंद्र सिंह धामी द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ ।