फागुन का आगाज- हास्य कवि सम्मेलन के साथ

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संजय कुमार गिरि ,नई दिल्ली ,नवसृजन बैनर के तले एक हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन कल रात्रि दिनाक 17फरवरी को हाई हिल्स पब्लिक स्कूल ,बुराड़ी, नई दिल्ली के प्रांगण में आयोजित किया गया ,कवि सम्मेलन की अध्यक्षता जयपाल रावत ने की यह आयोजन महाराष्ट्र से पधारे मुजावर मालेगाँवी के सम्मान मे किया गया। सभी कवियों ने एक ओर हास्य की छटा बिखेरी तो दूसरी ओर अपनी शानदार कविता से हर विषय को छुआ और अपनी मनोहर कविताओं से श्रोताओं का मन मोह लिया। कविता की बरसात में सराबोर कर देने वाले कवियों में -सर्वश्री विक्रम गौड रसिक, संदीप शजर, गुडडू शादीशुदा, विजय चौंबे मनु , निर्देश शर्मा पाब्ला ,एवं संदीप शर्मा मुख्य कवि रहे!
कवि संदीप सजर के सञ्चालन में सभी कवियों ने अपना शानदार काव्य पाठ किया जिनमे संदीप शजर ने सदन को प्यार की फुहारों से भिगोते हुए शे’र यह पढ़ा कि —
इश्क़ ये है नहीं तो फिर क्या है
मेरा छूना तेरा निखर जाना
कवि निर्देश शर्मा पाबला ने अपने काव्य पाठ के दौरान कहा —–
सिंहासन से हम कवियो ने कब मागा है धन दे दो।
या फिर हमनें माँग करी हो की भौतिक साधन दे दो
अपने ख्वाब जरा ऊंचे है चाहो तो कर दो पूरे।
सरहद पर भिजवा कर हमको हिंदुस्तानी गन दे दो।।।
कवि बृजेश तरूवर ने अपनी रचना में पढ़ा कि —–
सर झुकाता हूँ जिसके क़दमों में
वो भी टोपी उछाल देता है।
विजय कुमार चौबे मनु ने अपनी रचना में पढ़ा ——
आँखों में आँखे डाल के आँखों को देखिये
सबको हँसा के रातभर रोती रही हैं ये
गुड्डू शादीशुदा ने श्रोताओं को जमकर हंसाया।
मध्य रात्रि तक चले इस कवि सम्मेलन में सभी कवियों ने कविता के माध्यम से काव्य के तरह -तरह के रंग श्रोताओं को सुनाएँ ,जिसका श्रोताओं ने भी खूब लुफ़्त उठाया । अंत में संस्था के अध्यक्ष श्री शशिमोहन कोटनाला जी ने सभी आगंतुकों का आभार व्यक्त किया।

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