फील पांव (हाथी पावं या फाइलेरिया )होने पर प्राकृतिक चिकित्सा से उपचार इस रोग का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को दो दिन तक फलों का रस पीकर उपवास रखना चाहिए और आठ दिनों तक फलों का सेवन करना चाहिए। इसके साथ-साथ प्रतिदिन रोगी व्यक्ति को गुनगुने पानी से एनिमा क्रिया करनी चाहिए, ताकि उसका पेट साफ हो सके। इससे रोगी को बहुत अधिक लाभ मिलता है। इस रोग से पीड़ित रोगी को अपने शरीर के रोगग्रस्त भाग पर आधे घंटे तक गीली मिट्टी की गर्म पट्टी लगानी चाहिए और सूजन आए हुए पैर को आधे घंटे तक ऊपर उठाकर रखना चाहिए। इसके बाद पैरों को गर्म पानी से धोना चाहिए। यह क्रिया दिन में दो बार करनी चाहिए और रात को सोते समय रोगी को अपनी कमर पर मिट्टी की गीली पट्टी बांधनी चाहिए तथा दिन में दो बार कटिस्नान करना चाहिए। इससे यह रोग ठीक हो जाता है।
रंग चिकित्सा-हरे रंग और पीले रंग की बोतलों के सूर्यतप्त जल को बराबर मात्रा में मिलाकर 25 मिलीलीटर की मात्रा में दिन में छह बार पीने से हाथीपांव रोग जल्दी ही ठीक हो जाता है।
लौंग : लौंग फाइलेरिया के उपचार के लिए बहुत प्रभावी घरेलू नुस्खा है। लौंग में मौजूद एंजाइम परजीवी के पनपते ही उसे खत्म कर देते हैं और बहुत ही प्रभावी तरीके से परजीवी को रक्त से नष्ट कर देते हैं। रोगी लौंग से तैयार चाय का सेवन कर सकते हैं।
भोजन : फाइलेरिया के इलाज के लिए अपने रोज के खाने में कुछ आहार जैसे लहसुन, अनानास, मीठे आलू, शकरकंदी, गाजर और खुबानी आदि शामिल करें। इनमें विटामिन ए होता है और बैक्टरीरिया को मारने के लिए विशेष गुण भी होते हैं।
आंवला : आंवला में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में होता है। इसमें एन्थेलमिंथिंक भी होता है जो घाव को जल्दी भरने में बेहद लाभप्रद है। आंवला रोज खाने से इंफेक्शन दूर रहता है।
अश्वगंधा : अश्वगंधा की जड़ के चूर्ण को फाइलेरिया के इलाज के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।
अदरक : फाइलेरिया से निजात के लिए सूखे अदरक का पाउडर या सोंठ का रोज गरम पानी से सेवन करें। इसके सेवन से शरीर में मौजूद परजीवी नष्ट होते हैं और मरीज को जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है।
सेंधा नमक : शंखपुष्पी और सौंठ के पाउडर में सेंधा नमक या रॉक साल्ट मिलाकर एक-एक चुटकी रोज दो बार गरम पानी के साथ लें।
डॉ अरविन्द कुमार त्यागी
राष्ट्रीय संयोजक
भारतीय प्राकृतिक चिकित्सक संघ
368, प्रधान मार्ग , निरंकारी कालोनी,
दिल्ली- 110009
01140503546