दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी एवं ईगर टू फोर्ज अहेड (इंडिया) द्वारा 75 वां आज़ादी का अमृत महोत्सव श्रृंखला के अंतर्गत, श्री अरविन्द की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में “मानवता पूर्णता की ओर,” (Humanity Towards Perfection) विषय पर दिनांक 13 जून 2022 को प्रातः 11:30 बजे दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के गीतांजलि सभागार में व्याख्यान का आयोजन किया गया I दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के अध्यक्ष श्री सुभाष चंद्र कानखेड़िया के मार्गदर्शन एवं अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यक्रम में वक्ता के रूप में ईगर टू फोर्ज अहेड (इंडिया) से सुश्री लिपिका रथ एवं श्री राजेश कुमार साहू उपस्थित रहे I
श्रीमती उर्मिला रौतेला, सहायक पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी द्वारा श्रोताओं के सम्मुख कार्यक्रम की रूपरेखा रखते हुए कार्यक्रम के अध्यक्ष एवं वक्ताओं को मंच पर आमंत्रित कर कार्यक्रम आरंभ किया गया । उन्होंने बताया कि श्री अरबिंदो जी बहुआयामी व्यक्तित्व के स्वामी थे । वह एक कवि, विचारक, स्वतंत्रता सेनानी, योगी और आध्यात्मिक नेता थे । अरबिंदो जी के शैक्षिक जीवन पर चर्चा करते हुए उन्होंने बताया कि अरबिंदो जी के माता-पिता उनकी परवरिश यूरोपीय शैली में करना चाहते थे । इसलिए, उन्होंने उन्हें दार्जिलिंग के लोरेटो कॉन्वेंट स्कूल में दाखिला दिलाया तत्पश्चात 7 साल की आयु में उन्हें पढ़ाई पूरी करने के लिए इंग्लैंड भेज दिया । उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा किंग्स कॉलेज, कैम्ब्रिज से की और 1892 में वे भारत वापस आ गए। उन्होंने भारतीय सिविल सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की लेकिन ब्रिटिश सरकार के लिए काम ना करना चाहने के कारण उन्होंने ज्वाइन ही नहीं किया । उनके कौशलता को देखते हुए बड़ौदा के राजा द्वारा उन्हें बड़ौदा राज्य सेवा में कार्यभार सौंपा गया । अरबिंदो जी पूर्ण स्वराज का नारा देने वाले पहले व्यक्ति थे । स्वतंत्रता आंदोलन में भी उनका विशेष योगदान रहा । स्वतंत्रता हेतु क्रियाशील रहते हुए उनमें अध्यात्म की ओर रुचि बड़ी ।
कार्यक्रम में ईगर टू फोर्ज अहेड (इंडिया) से वक्ता के रूप में उपस्थित सुश्री लिपिका रथ ने यन्त्र संगीत के माध्यम से सभागार में उपस्थित श्रोताओं को एकाग्रचित होकर श्री अरबिंदो का ध्यान करवाते हुए एवं उनकी प्रार्थना प्रस्तुत कर अपना वक्तव्य प्रारंभ किया । उन्होंने बताया कि ईगर टू फोर्ज अहेड (इंडिया) श्री अरबिंदो की 100 वीं जन्म जयंती के अवसर पर पूरे भारत में भ्रमण करते हुए अरबिंदो जी के जीवन और विचारों को देशवासियों तक पहुंचा रहे हैं । उन्होंने कहा कि उत्कृष्ट ज्ञान और लेखनी अरबिंदो जी के अस्त्र थे । अरबिंदो भारत को मां मानते थे और अपनी मां को राक्षस रूपी अंग्रेजी सरकार से छुड़ाने के लिए वे आजीवन प्रयत्नशील रहे । श्री अरबिंदो जी केवल एक चिंतक नहीं थे, वे स्वतंत्रता एवं मानव जाति के उत्थान के लिए निरंतर क्रियाशील भी रहे । स्वतंत्रता आंदोलन में परस्पर भाग लेते रहने के कारण उन्हें एक वर्ष जेल में बिताना पड़ा । वह एक वर्ष उनके जीवन में नया मोड़ लाने वाला समय रहा । अरबिंदो जी मानते थे कि हम स्वतंत्रता तो चाहते हैं पर साथ ही हम मोह, माया, आशा, कमानाओं, सामाजिक रीतियों आदि बेड़ियों में बंधे हुए हैं । उन्होंने श्री अरबिंदो के पांच सपने- भारत में स्वतंत्रता और एकता, भारत एवं उसके आस-पास के देशों का उत्थान, विश्व की एकता, भारत का विश्व आध्यात्मिक गुरु बनाना, एक नई पीढ़ी का जन्म सभी से साझा किए । उन्होंने श्री अरबिंदो जी द्वारा लिखी गई तीन मुख्य पुस्तकों (Synthesis of Yoga, The Life Divine and Savitri) की भी संक्षिप्त जानकारी प्रदान की ।
ईगर टू फोर्ज अहेड (इंडिया) से वक्ता श्री राजेश कुमार साहू ने श्रोताओं को बताया कि जो ज्ञान हमें सही समय पर सही कार्य करने का पथ दिखाए वो ही उत्तम है । उन्होंने कहा कि श्री अरबिंदो का योग वह है जिसमे ना भागना है, ना त्यागना है बल्कि हम जहां हैं वहीं रहकर जागना है । उनके अनुसार संसार के उत्थान के लिए कार्य करना योग है । उन्होंने कहा कि आज के समय में हम सभी सफलता के पीछे भाग रहे हैं । अगर हम सफलता के पीछे भागना छोड़कर स्वयं को और भी बेहतर बनाने की कोशिश करें तो जिस सफलता, पैसे, सत्ता के पीछे हम भाग रहे हैं वे स्वयं ही हमारे पास आयेंगे । उन्होंने कहा कि इतना विकास होने के बाद भी परिवर्तन इतना ही आया है कि हम एक दूसरे पर पत्थर मारने की बजाय परमाणु बम मारने लगे हैं । चेतना में परिवर्तन लाने से ही हम सही दिशा में जा सके हैं । हम सही निर्णय लेने में सक्षम तो हैं परंतु स्वार्थ में लिप्त होकर कभी वह सही निर्णय ले नहीं पाते । उन्होंने किसी के दुख पर हंसने से अधिक उसके दुख को दूर करने की कोशिश करने, पाने से ज्यादा देने की प्रवृत्ति अपनाने का आवाहन किया । परमात्मा के साथ हम नायक हैं, परमात्मा के बिना हम शून्य हैं, इन पंक्तियों के साथ उन्होंने अपने वक्तव्य का समापन किया ।
श्री सुभाष चंद्र कानखेड़िया अध्यक्ष, दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कार्यक्रम को आयोजित करने में अपने सहयोग हेतु ईगर टू फोर्ज अहेड (इंडिया) का धन्यवाद किया । उन्होंने कबीर दास जी के दोहे “सात समंद की मसि करौं, लेखनि सब बनराइ, धरती सब कागद करौं, तऊ हरि गुण लिख्या न जाइ॥” को श्री अरबिंदो को समर्पित करते हुए कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस भी यह मानते थे कि श्री अरबिंदो ही हमे स्वतंत्रता दिलाएंगे । उन्होंने श्री अरबिंदो जी की सुप्रसिद्ध कविता नमस्ते पर भी चर्चा की ।
श्री के. एस. राजू, पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी, दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा ईगर टू फोर्ज अहेड (इंडिया) से वक्ता सुश्री लिपिका रथ एवं श्री राजेश कुमार साहू तथा सभी आमंत्रित श्रोताओं को धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ ।