कलमवीर विचार मंच द्वारा ज्ञान प्रकाश विवेक के सम्मान में आयोजित हुआ काव्योत्सव

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बहादुरगढ़। हिन्दी साहित्य की विभिन्न विधाओं में पारंगत देश भर में लोकप्रिय बहादुरगढ़ के वरिष्ठ साहित्यकार ज्ञान प्रकाश विवेक को हरियाणा साहित्य अकादमी द्वारा संस्था के सर्वोच्च सम्मान आजीवन साहित्य साधना सम्मान से सम्मानित किए जाने की घोषणा से क्षेत्र के कलमवीरों में नयी ऊर्जा का संचार हुआ है। अकादमी सहित देश की अनेक साहित्यिक संस्थाओं से पुरस्कृत व सम्मानित हो चुके विवेक जी की इस ताज़ा उपलब्धि पर हर्ष व्यक्त करते हुए उनके सम्मान में कलमवीर विचार मंच द्वारा विवेकानंद नगर में काव्योत्सव का आयोजन किया गया। कवि नारायण दत्त त्रिशूल के सानिध्य में संपन्न इस कार्यक्रम का मंच संचालन गीतकार कृष्ण गोपाल विद्यार्थी ने किया। समारोह के दौरान श्री विवेक को एक शाल,गर्म जॉकेट व सुंदर स्मृति चिन्ह भेंट कर सम्मानित किया गया।
कार्यक्रम में उपस्थित कलमवीरों को संबोधित करते हुए विवेक जी ने दशकों पूर्व शुरू हुई अपनी सृजन यात्रा से जुड़े रोचक व प्रेरक संस्मरण सुनाए। नवोदित रचनाकारों के लेखन पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि हिन्दी साहित्य के भविष्य के प्रति वे पूरी तरह आश्वस्त हैं। उन्होंने कहा कि श्रेष्ठ लेखन के लिए आवश्यक है कि वे आत्ममुग्धता के विकार से बचते हुए एक पाठक के तौर पर भी अपनी रचनाओं का अवलोकन व मूल्यांकन करें। यह प्रवृत्ति उन्हें और अच्छा व कालजयी रचनाएं लिखने के लिए प्रेरित करेगी। श्रोताओं के अनुरोध पर उन्होंने अपनी कुछ ग़ज़लें भी सुनाईं। एक बानगी देखिए…
पुराने खत जो रक्खे हैं यही मेरा खज़ाना है
कि इस संदूक के अंदर मेरा गुज़रा ज़माना है
तुम्हारे घर के अंदर कीमती सामान हो तो हो
हमारे घर की खिड़की में परिन्दों का ठिकाना है

इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक कवि सतपाल स्नेही व उनके सहयोगियों नारायण दत्त त्रिशूल,कृष्ण गोपाल विद्यार्थी सहित सम्मान समारोह में उपस्थित वीरेंद्र जैन, डॉ.मंजु दलाल, करुणेश वर्मा, जगबीर कौशिक, कुमार राघव, मनोज कमल दहिया, अर्चना गोयल माही,राजकुमार गाईड,वीरैंद्र कौशिक,बिल्लू जाट, मोहित कौशिक, कृष्ण प्रजापति आदि ने अपनी रचनाएं सुनाने के अलावा श्री विवेक से जुड़े अपने संस्मरण सुनाए व उन्हें मिल रहे सम्मान को क्षेत्र के सभी कलमवीरों को गौरवान्वित करने वाली प्रेरक घटना बताया। कार्यक्रम में उपस्थित तीन किशोरों सार्थक,सचित व सूर्यांशी का काव्यपाठ आयोजन का विशेष आकर्षण रहा।

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