“ख़ामोशी”-राज़ सोरखी “दीवाना कवि”

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…हमारी ख़ामोशी की भी   Poet1
अपनी एक आवाज़ है।
…यह अंदाज़ है गुपचुप,
बहुत कुछ कह जाने का ।
…सुनो मेरी इन खामोशियों को तुम
क्या है ऐसा?
जो मैंने तुमसे
और तुमने मुझसे नहीं कहा???
…इन आँखों से
छलकते प्यार से
कुछ ज्यादा भी
कहा जा सकता है क्या?
राज़ सोरखी “दीवाना कवि”
हिसार, हरियाणा (भारत )

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