वर्तमान समय में देश में महिलाओं की स्थिति को कई रूपों में वर्गीकृत किया जा सकता है –
1- ग्रामीण महिलाएं- इनका वर्गीकरण दो रूपों में किया जा सकता है –
1.1 अविकसित अथवा अल्पविकसित ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाएं- ये अशिक्षित अथवा अल्पशिक्षित होती हैं और पारंपरिक रूप से जीवन व्यतीत करती हैं। 1.2 आधुनिक सुविधाओं से संपन्न ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली महिलाएं-
ये भले ही गांवों में रहती हैं पर ये बहुत ज्यादा ना सही पर फिर भी काफी शिक्षित होती हैं। आधुनिक तकनीक से भी इनका थोड़ा – बहुत करीब का संबंध होता है। ये अपनी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति करते हुए भी अपने परिवार को अच्छी तरह संवारे रहती हैं।
2. शहरी महिलाएं अर्थात् विकासशील अथवा विकसित क्षेत्रों में रहने वाली महिलाएं। इनका वर्गीकरण भी इनकी स्थिति तथा मानसिकता के आधार पर दो रूपों में किया जा सकता है –
2.1 सहज सरल महिलाएं –
ये काफी शिक्षित तथा सरल स्वभाव की होती हैं। नई तकनीकी पर इनका अच्छा अधिकार होता है। ये बहुत महत्वकांक्षी होती हैं पर अपनी महत्वाकांक्षाओं की पूर्ति के लिए ये अपने परिवार की बलि नहीं देती हैं। ये अपनी महत्वाकांक्षा और अपने परिवार दोनों को ही अच्छी तरह संवारती हैं। बहुत सी महिलाएं सैल्फ ड्राइविंग भी होती हैं। बड़े -बड़े पदों पर काम करती हैं। मीडिया में भी काम करती हैं। कुछ महिलाएं व्यापार भी करती हैं। ऊंचे – ऊंचे पहाड़ों पर चढ़ जाती हैं। प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, तथा राष्ट्रपति पद को भी सुशोभित करती हैं।
2.2 अहमवादी( ईगोस्टिक) महिलाएं –
ये बहुत ईगोस्टिक होती हैं। ये अपने आगे किसी को कुछ नहीं समझती हैं और बात- बे – बात, जब- तब तुनकती रहती हैं।जब – तब अपना घर-परिवार छोड़कर जाती रहती हैं और अंत में स्थाई रुप से अपने पति को छोड़ देती हैं। बच्चे के लिए इनकी मर्जी है कि उसे वे पति के पास छोड़ें या साथ ले जाएं। कुछ महिलाएं बच्चे को पति के पास छोड़ देती हैं किंतु अधिकतर महिलाएं बच्चे को अपने साथ ले जाती हैं। अधिकतर अपने मैके में रहती हैं। कुछ अलग भी रहती हैं। मनमानी करती हैं। नौकरी करती हैं। प्रॉपर्टी इकट्ठी करती हैं। पति के चाहने पर भी उसे तलाक नहीं देती हैं और अपनी प्रॉपर्टी के साथ-साथ पति की प्रॉपर्टी पर भी अपना पूरा हक समझती हैं। साथ ही पति और उसके घरवालों का जब तक मानसिक और आर्थिक शोषण करती रहती हैं और समाज में गलत उदाहरण रख कर उसे गलत दिशा देती हैं। आजकल ऐसी महिलाओं की संख्या बढ़ती चली जा रही है। इनकी देखा – देखी अब कुछ पुरुष भी पत्नी के चाहने पर भी उसे तलाक नहीं देते हैं।
वर्तमान पारिवारिक और सामाजिक स्थिति को देखते हुए स्त्री- पुरुष सभी को ध्यान में रखते हुए सरकार को चाहिए कि जैसे उसने दहेज के कानून के दुरुपयोग की वजह से उसमें सुधार किया है ऐसे ही आज वक्त की आवश्यकता को मद्देनजर करते हुए वह यह कानून बनाए कि जो पति-पत्नी (स्त्री- पुरुष) मनमुटाव के कारण दो या तीन साल से अलग- अलग रह रहे हैं उनका बिना किसी पर आर्थिक दबाव डाले स्वतः तलाक माना जाए और उन्हें निर्विवाद रूप से अपना जीवनसाथी चुनने का पूरा कानूनी अधिकार दिया जाए।
विषमताएं ज्यादा बढ़ जाए इससे पहले ही बेहतर रहेगा कि स्त्री इसके साथ ही साथ पुरुष, परिवार और समाज की सभी के हित की द्ष्टि से यह बहुत आवश्यक
है। इसके लिए हम सबको समवेत रूप से प्रयास करना बहुत जरूरी है।
यह तो रहा महिलाओं की देश में वर्तमान स्थिति का वर्णन। इसके साथ ही साथ ही पारिवारिक व सामाजिक समस्या के समाधान का प्रयास भी ।
अब बात आती है मीडिया की। विज्ञापन हो, पत्रकारिता हो, न्यूज हो इस सब में महिलाओं को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। महिलाओं से संबंधित घटनाएं, दुर्घटनाएं, समस्याएं और समाधान यह सब कुछ मीडिया बहुत जागरूकता के साथ कवर करता है।
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डॉ शशि मंगल