गीत गंगा का भागीरथ
दिया गीतों को मधुर लय ।
साहित्य जगत का नूर
हमसे रुठ गया असमय ।।
कालजयी रचनाएं गढ
दिया जगत में परिचय ।
रुठ गया स्वर साधक
हँसते- गाते वो असमय ।।
धनी कलम के श्रेष्ठ कवि
हुये महान जग लोकप्रिय ।
कोटिश है नमन पद्मश्री
नीरज जी अमर – अजय ।।
इनके गीत गूंजते रहेगे
युगों तक ले नव सूर्योदय ।
कैसे कहें अंतिम प्रणाम
इन्हें बसे है जो मन-ह्रदय ।।
✍🏻 गोपाल कौशल