Home नव वर्ष-2020 में सभी को अपना सर्वश्रेष्ठ रूप मिले निरंकारी सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज का नव वर्ष संदेश दिल्ली, 2 जनवरी, 2020ः वर्ष 2019 के विदा होने और 2020 के आगमन पर सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने नव वर्ष उपदेश में अपने भाव व्यक्त करते हुए कहा कि “दातार कृपा करे कि वर्ष 2020 हमें हमारा सर्वश्रेष्ठ रूप प्रदान करे। हम पिछले वर्षों की अपनी भूलें न दोहरायें। हमेशा दूसरों को खुशियां देते रहें और मुस्कानें बिखेरते रहें। हमारा ध्यान केवल सेवा, सुमिरण, सत्संग पर केन्द्रित रहे और जिस प्रकार ब्रह्मज्ञान के उजाले से हमारा जीवन बदला है, हम यहीं बदलाव अपने सम्पर्क में आने वालों में भी ला सकें। हमें जो शिक्षा सत्संग में मिलती है हम उसे सदा याद रखें। हमारा हर कर्म हमें सच्चे रूप में मानव बनाये। हम विश्व के नागरिक बनें और मानवता को और मज़बूत बनायें। संसार सच्चे रूप में ‘दीवार रहित संसार’ बने। बच्चे, नौजवान, बुर्जुग सभी सत्य मार्ग पर चलें। अन्त में निरंकार से प्रार्थना है कि हम सभी को सकारात्मकता बख्शे और हम हमेशा वह करें जो सही है।“ सत्संग समारोह – सायंः 1 जनवरी, 2020 नव वर्ष का शुभारम्भ भक्ति भाव से हो और हम निरंकार के एहसास में कायम रहे। -सद्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज का आह्वान दिल्ली, 2 जनवरी, 2020ः आज नव वर्ष 2020 के इस अवसर पर संकल्प करे कि इसका प्रारम्भ भक्ति भाव से हो और हम निरंकार के एहसास पर पूरा साल कायम रहे। हम सेवा, सिमरन और सत्संग के साथ पल-पल जुड़े रहे ताकि हमारे भाव सकारात्मक बनते चले जाए और नकारात्मकता के लिए चाहे 2 कितने भी कारण हो हम उन्हें दूर रखे और हर समय प्रसन्न रहे और दूसरों को भी प्रसन्नता प्रदान करें। यह विचार कल यहाँ निरंकारी सद्गुरू माता सुदीक्षा जी महाराज ने नव वर्ष 2020 के आगमन पर आयोजित एक विशाल जन समूह को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। सद्गुरू माता जी ने कहा कि आमतौर पर लोग नव वर्ष के अपने संकल्प को भूल जाते हैं, परन्तु हमने सेवा, सिमरन और सत्संग के साथ पल-पल जुड़े रहना है। मछली का उदाहरण देते हुए सद्गुरु माता जी ने कहा कि वह कितनी भी आज़ाद होती है फिर भी वह पानी की कैद में है। इसी प्रकार हमें भी जहाँ निरंकार में हर प्रकार की आजा़दी है वहाँ इसकी कैद में ही हमें रहना है शुकराने के भाव में। सद्गुरु माता सुदीक्षा जी महाराज ने कहा कि आज शहनशाह बाबा अवतार सिंह जी और निरंकारी राजमाता कुलवंत कौर जी को भी उनके जन्म दिवस पर याद किया जा रहा है। उन्होंने हमें यहीं सिखाया कि हमने स्वयं का सुधार करना है, सिर्फ उत्थान की ओर, पतन की ओर नहीं। हम जिस प्रकार स्वयं को क्षमा करते हैं इसी तरह दूसरों के प्रति भी कोई गिला-शिकवा ना रखें और उनके लिए भी क्षमा का ही भाव रखे। हमने सब में इस दातार का ही स्वरूप देखना है। सद्गुरु माता जी ने यह भी कहा कि हमने घर-परिवार के लिए समाज तथा मानवता के लिए वरदान बनना है और अपना सबसे बेहतर किरदार निभाना है। ——————————————- —– आपके सम्मानित समाचार पत्र/बुलेटिन में प्रकाशनार्थ। (परिमल सिंह) काॅरडिनेटर प्रेस एवं पब्लिसिटी विभाग mata sudhiksha nirankari