पराक्रम दिवस के अवसर पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं संगोष्ठी का आयोजन 

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दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा 75वां आज़ादी का अमृत महोत्सव श्रृंखला के अनुक्रम में दिनांक 23.01.2023 को प्रात: 11 बजे क्षेत्रीय पुस्तकालय, सरोजिनी नगर में पराक्रम दिवस के अवसर पर नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं संगोष्ठी का आयोजन किया गया l कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. सत्यनारायण जटिया, पूर्व कैबिनेट मंत्री, भारत सरकार उपस्थित रहे I यह कार्यक्रम दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड के अध्यक्ष श्री सुभाष चंद्र कानखेड़िया की अध्यक्षता एवं दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी के महानिदेशक डॉ. आर. के. शर्मा के मार्गदर्शन में आयोजित किया गया I कार्यक्रम में दिल्ली लाइब्रेरी बोर्ड की सदस्या श्रीमती विभा लाल चावला वक्ता के रूप में उपस्थित रही I  सभी माननीय अतिथियों  द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्पांजलि अर्पित की गई ।

श्रीमती उर्मिला रौतेला, सहायक पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी, दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी द्वारा मंच संचालन करते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा रखी गई ।

महानिदेशक डॉ. आर. के. शर्मा ने कार्यक्रम में सम्मिलित होने हेतु सभी गणमान्य व्यक्तियों तथा श्रोताओं का स्वागत कर हार्दिक आभार व्यक्त किया । उन्होंने नेताजी के प्रेरणामयी एवं यशस्वी जीवन तथा शिक्षा का संक्षिप्त परिचय देते हुए स्वाधीनता संग्राम में उनके योगदान को बताया कि स्वाभिमान, साहस, कर्तव्यनिष्ठ, देशप्रेम की भावना से ओतप्रोत एक नौजवान जिसने आई.सी.एस की परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया लेकिन फिर भी अंग्रेजो की गुलामी को स्वीकार नहीं करते हुए आई.सी.एस के महत्वपूर्ण पद को छोड़ दिया और भारतीय स्वाधीनता संग्राम में कूद पड़े और देश की आजादी के लिए अपनी पत्नी और चार हफ्ते की बच्ची को भी छोड़ कर अपना सर्वोच्च बलिदान दिया I उन्होंने अंग्रेजों की शोषण नीति के विरुद्ध सम्पूर्ण विश्व को एक मंच पर लाकर खड़ा कर दिया । साथ ही डॉ. आर. के. शर्मा ने बताया कि कोलकता में स्थित शांति इंस्टिट्यूट, सार्वजानिक पुस्तकालय उनके अध्ययन का केंद्र रहा था,  जो दर्शाता है कि पुस्तकालय का महत्व उनके जीवन में बहुत ही अधिक  रहा था और उस समय के सभी क्रांतिकारी स्वतन्त्रता सेनानी सार्वजनिक पुस्तकालयों में अध्ययन करके ही ज्ञान अर्जित करते थे I

श्रीमती विभा लाल चावला ने अपने व्यक्तव्य में नेताजी द्वारा प्रस्तुत उद्धरण “एक व्यक्ति एक विचार के लिए मर सकता है, लेकिन यह विचार, उसकी मृत्यु के बाद, अपने आप में एक हजार जीवन में अवतार लेगा” को श्रोताओं के साथ साझा किया तथा नेताजी के त्याग एवं देश के प्रति समर्पण को विभिन्न सन्दर्भों के माध्यम से प्रस्तुत किया l उन्होंने श्रोताओं से संवाद कर उनसे पूछा कि आपका स्वतन्त्रता से क्या तात्पर्य है ? आपको यह विचार करना होगा कि जब आप अपनी स्वतन्त्रता की बात करते हो तो आपको यह भी ध्यान देना होगा इससे दूसरों की सफलता पर कोई असर तो नहीं पड़ा और इस  स्वतन्त्रता के  अमृत काल में हमें स्वतन्त्रता से जीने का अवसर नेताजी जैसे बलिदानियों से प्राप्त हुआ, जिन्होंने अपने घर, परिवार, पत्नी एवं बच्ची की परवाह न कर देश की आजादी को ही अपना ध्येय बनाया I

डॉ. सत्यनारायण जटिया ने बहुत ही प्रेरक काव्यात्मक प्रस्तुति के साथ श्रोताओं को अपने अस्तित्व को बनाने, निरंतर प्रयास करने, अपने जीवन को सार्थक बनाने, अपने स्वाभिमान हेतु समझोता ना करने एवं समय का सदुपयोग करने हेतु प्रोत्साहित किया l उन्होंने अपने भाषण में विभिन्न स्वतंत्रता सेनानियों एवं क्रांतिकारियों; वासुदेव बलवंत फड़के, गाँधी जी, लाला लाजपत राय, लोकमान्य तिलक, विपिन चन्द्र पाल आदि का उल्लेख किया तथा उनके द्वारा किये गए अदम्य कार्यों को भारतवासी हेतु प्रेरणा स्रोत बताया l उन्होंने नेताजी सुभाषचंद्र बोस के विस्तृत  जीवन दर्शन से श्रोताओं को अवगत कराया तथा उन्होंने बताया कि नेताजी ने देश की आजादी के लिए अपने अल्प जीवनकाल में इतने अधिक  कार्यों का सूत्रपात किया जो सभी के लिए युगों-युगों तक प्रेरणा स्रोत रहेंगे l नेताजी के जीवन परिदृश्य एवं व्यक्तित्व पर विभिन्न घटनाओं; कांग्रेस अधिवेशन, आज़ाद हिन्द रेडियो तथा उनके द्वारा गठित झाँसी की रानी रेजिमेंट के सम्बन्ध में श्रोताओं का ज्ञानवर्धन किया । डॉ. जटिया का  सम्पूर्ण वक्तव्य उनकी अनुपम काव्य प्रस्तुतियों से भरा था तथा उनके ओजस्वी भाषण को सुनकर श्रोता भाव-विभोर व आनंदित हए I  उन्होंने पुस्तकालय के पाठकों से अधिक से अधिक स्वतंत्रता सेनानियों एवं बलिदानियों को पढ़ने एवं अध्ययन करने का आग्रह किया l

श्री सुभाष चंद्र कंखेरिया ने अपने अध्यक्षीय भाषण में श्रोताओं को नेताजी के व्यक्तित्व को जानने का आग्रह किया और बताया कि  नेताजी का विद्यार्थी जीवन से आज़ाद हिन्द फौज तक का सफ़र आसान नहीं था l उनके अदम्य साहस और शौर्य से हमें सदैव प्रेरणा लेनी चाहिए और देश की उन्नति के लिए समर्पित रहना चाहिए I उन्होंने आज़ाद हिन्द फ़ौज के प्रसिद्द गीत  “कदम कदम बढाए जा ख़ुशी के गीत गाये जा” का गायन सभागार में उपस्थित सभी जनों के साथ किया l

अंत में श्री नरेंद्र सिंह धामी, पुस्तकालय एवं सूचना अधिकारी, दिल्ली पब्लिक लाइब्रेरी  द्वारा धन्यवाद ज्ञापन प्रस्तुत किया गया तथा राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ ।

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