सादगी से परिपूर्ण पर्यावरणविद, लेखक, कवि व साहित्यकार- लाल बिहारी लाल

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नीरज  पाण्डेय

आज हमारे जीवन में पर्यावरण का महत्वपूर्ण योगदान है यदि पर्यावरण पर ध्यान ना दिया गया और प्रकृति का ऐसे ही दिन प्रतिदिन क्षति होती रही तो वह दिन दूर नहीं कि हम सांस लेने को मोहताज हो जाएंगे, और प्रकृति का नियंत्रण दिन  प्रतिदिन बिगड़ता जाएगा । कई पर्यावरणविद निस्वार्थ भाव से प्रकृति को बचाने की मुहिम में जुटे हैं उन्हीं में से एक हैं लाल बिहारी लाल जिनको होश संभालने के बाद से प्रकृति से ऐसा लगाव हुआ कि वह पर्यावरण प्रेमी बन गए ।
लाल बिहारी लाल का जन्म बिहार के छपरा जिला के अधीन एक गांव सोनहो के पास श्रीरामपुर में 10 अक्टूबर सन 1974 को एक मध्यमवर्गीय शिक्षक परिवार में हुआ था इनका लालन-पालन इसी गांव में हुआ लाल जी का बचपन से ही प्रकृति से अटूट लगाव रहा और वह पेड़ पौधों और फूल पत्तियों  के साथ खेलते रहते थे।
लाल जी शिक्षा ग्रहण कर जब वह दिल्ली आए तो उनको प्रकृति के साथ-साथ संगीत और कविता का भी शौक परवान चढ़ा और उन्होंने कविता के साथ-साथ कई गीत भी लिखे जो काफी प्रसिद्ध हुए जिन्हें टी सी रीज, वीनस,एच.एम.वी  आदि सहित तमाम कंपनियों ने रिलीज किया। इनके कई   गाने  हिट हुए  जो कि हर व्यक्ति के जुबां पर था जिसे गाया था ताराबानो फैजाबादी  ने ऐसे ही अनेक गीत उन्होंने लिखे, देवी गीत छठ मैया के गीत कई लोकगीतो के साथ-साथ काफी कविताएं भी लिखी हैं।
इनकी लिखी कविता नालंदा के एम  ए एवम बिहार विश्वविद्यालय के बी.ए. पाठ्यक्रम में भी पढ़ाई जाती हैं । श्री लाल बिहारी लाल समाजिक क्षेत्रों में भी काफी सक्रीय है।  लाल जी को अनेकों बार अच्छी पत्रकारिता एवं उत्कृष्ट कार्यों के लिये विभिन्न सगठनों द्वारा अनेकों बार सम्मानित किया गया है।  लाल जी एक अच्छे समाजसेवी भी हैं समय-समय पर क्षेत्रवासियों की सहायता के लिए तत्पर रहते हैं देखने में बिल्कुल सादगी से परिपूर्ण दिखने वाले लाल जी की रोम-रोम में समाज सेवा पर्यावरण संरक्षण तथा लोगों को प्रसन्न करने की कला कूट-कूट कर भरी है। इनके उज्ज्जवल भविष्य  की  कामना करता हूं।

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