सरकार घाटा नहीं सहेगी, जनता चाहे पकौडे़ की तरह तल जाय

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ram swaroop
रामस्वरूप रावतसरे
हरिया अखबार देखकर बुदबुदा रहा था कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पेट्रोल डीजल के बारे में कह रहे है कि वैट कम करने से उन्हें घाटा होगा। इसलिए केन्द्र सरकार ही वैट कम करे। उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि  पेट्रोल डीजल के वैट में राज्य सरकार द्वारा कमी करने पर उन्हें (सरकार को) किस प्रकार से घाटा हो रहा है। पेट्रोल डीजल के दाम कम होगें तो जनता को लाभ मिलेगा, यह तो समझ में आ रहा था, पर हरिया के यह समझ में नहीं आ रहा था कि सरकार को घाटा कैसे होगा!
सरकार जनता की सुख सुविधा के लिए होती है या कि उसको पेलकर तेल निकालने के लिए। मुखिया के ब्यान से तो यही लग रहा है कि ये जनता की सरकार ,संवेदनशील सरकार, जनता का हित साधने वाली सरकार सिर्फ चुनावों के समय ही होती है। या कि वक्त बे वक्त (भाषण के दौरान )गले की खरास को दूर करने के लिए। अन्यथा सत्ता में आने के बाद तो इनके लिए जनता भी लाभ हानि की श्रेणी में आ जाती है। खैर हरिया के पास एक पुराना स्कुटर है। जब से पेट्रोल ने सो का आकड़ा पार किया है घर की दहलीज से बाहर नहीं निकला। इस बार दीपावली पर भी उसकी औपचारिक रूप से धूल ही झाड़ी थी। हर वर्ष की तरह धुलाई या फूलमालाओं से सजाया नहीं था। सजा कर भी क्या करते! ज्ब स्कुटर  टंकी ही महिनों से खाली पड़ी है। इस तेल ने आमजन का तेल निकालने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
हरिया ने अखवार को एक तरफ रखा ही था कि तनसुख ने दरवाजा खटखटाया। हरिया ने कहा – दरवाजा खुला ही है चले आओ।  तनसुख चारपाई पर बैठते हुए बोला आज का अखवार  क्या कहता है? हरिया ने कहा – अखवार यह कह रहा है कि पेट्रोल डीजल के वैट में कमी करने से गहलोत साहब को घाटा होता है। इसलिए जो कुछ करना है केन्द्र सरकार ही करे, वे कुछ नहीं करने वाले है। ये जनता के लिए आये है या कि अपनी लिमिटेड कम्पनी चलाने के लिए। अगर लिमिटेड कम्पनी ही चलानी है तो फिर क्यों जनहितार्थ की बात करते है।
तनसुख ने कहा – हरिया ये जब तक सत्ता में नहीं होते है। तब तक ही जनता की बात करते है , लोकतन्त्र की दुहाई देते है। जब सत्ता में आ जाते है, तब इनकी नीतियां – कारगुजारियां  एक पर्सनल लिमिटेड कम्पनी की तरह ही हो जाती है।  प्रदेश के मुख्यमंत्री जो अपने आपको जनता से गांधीवादी जननायक कहलाना पसंद करते है। वह यह कह रहे है कि पेट्रोल डीजल  के वैट कम करने पर उन्हें नुकसान होगा। यह नुकसान उसी जनता को सुविधा देने के कारण होना बताया जा रहा है। जिसको बेहतर सुख सुविधा देने के वादे के साथ ये सत्ता में आये हैं। यही नहीं हाल ही में दो उप चुनावों में भी मंहगाई के मुद्दे पर जीत कर आये है। लेकिन इनके पास जनता को बरगलाने के लिए बहुत कुछ है देने के लिए कुछ भी नहीं। ये सत्ता में आने के लिए जनता से पांच साल का समय मागते है लेकिन उसी जनता को पांच रूपये की राहत देने के लिए तैयार नहीं है।
हरिया राजस्थान में पेट्रोल पर 36 प्रतिशत ओर डीजल पर 26 प्रतिशत वैट की वसूली राज्य सरकार करती है। देश के 14 राज्यों ने जनता की सुविधा के लिए एक्साइज डयूटी कम कर दी है। किसी भी मुख्यमंत्री ने अशोक गहलोत की तरह राजस्व की कमी का तर्क नहीं दिया। ये पेट्रोल डीजल के दामों में वृद्धि के लिए केन्द्र सरकार को जिम्मेदार ठहराते है लेकिन अपनी जिम्मेदारी को पूरा नही करते। जनता को भ्रमित करने के लिए जिम्मेदार लोग मंहगाई को लेकर  सड़को पर उतर रहे है। जनता का समय और पैसा बरबाद कर रहे है। लेकिन जनता को जो राहत देने का उनका कर्तव्य बनता है। उस पर शुतुरमुर्ग की तरह मिट्टी में गर्दन छुपा लेते है। हरिया इस देश की विचित्र स्थिति है। मुफ्त वितरण के नाम पर लाखों करोड़ की धन राशि बाढ के पानी की तरह बहाई जाती है। सब्सिडी दी जा रही है। और भी ना जाने क्या क्या जनता के प्रति संवेदनशील सरकारें कर रही है। तब किसी प्रकार के घाटे की बात सामने नहीं आती। लेकिन पेट्रोल डीजल की एक्साईज डयूटी में दो तीन प्रतिशत की कमी में इन्हें घाटा नजर आता है। कितना विचित्र खेल है।
हरिया ने कहा – खैर छोड़ों इस तेल और इसके उपर उठक बैठक लगाने वालों को, आप बताओं कैसे आना हुआ।
तनसुख ने कहा- पेट्रोल डीजल और मंहगाई को लेकर एक जुलुस हाय हाय करता भगदड़ मचाता आ रहा था। उससे बचने के लिए तुम्हारे यहां आ गया था, अब चलता हॅॅू।
तनसुख के जाने के बाद हरिया ने एक नजर कोने में खड़े स्कूटर को देखा और अन्दर चला गया।

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