नयी दिल्ली। गांधी शांति प्रतिष्ठान “मैंने छात्र जीवन में ‘पथिक’ शीर्षक से एक रचना लिखी थी। अरविंद पथिक से जब मैं पहली बार मिला तभी मुझे लगा कि मुझे अपनी कविता का नायक आज मिल गया।” उक्त विचार गांधी शांति प्रतिष्ठान में कार्यक्रम के अध्यक्ष पद से बोलते हुये डॉ. जीतराम भट्ट (सचिव हिंदी, संस्कृत, जौनसारी, अकादमी तथा निदेशक प्राच्य विद्या संस्थान) ने व्यक्त किए। डॉ. जीतराम भट्ट ने सुप्रसिद्ध लेखक एवं कवि अरविंद पथिक के जीवन पर केंद्रित ‘ट्रू मीडिया पत्रिका के विशेषांक ‘पचास के पथिक’ लोकार्पण के अवसर पर बोल रहे थे। उन्होंने आगे कहा कि अरविंद पथिक के रूप में मैंने एक ऐसे कवि-लेखक को करीब से देखा है ,जिसने सारे जीवन स्वाभिमान के साथ साहित्य और समाज के लिए कार्य किया है, मैं उनके शतायु होने की कामना करता हूं।” कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ, अनुज कुमार सुप्रसिद्ध कथाकार ने श्री पथिक के साहित्य में नारी संवेदना एवं विसंगतियों पर व्यंग्य करने की उनकी अद्भुत शक्ति के बारे में इंगित किया। उन्होंने हरिशंकर परसाई के साहित्य से अरविंद के साहित्य की तुलना करते हुए कहा अरविंद पथिक में चीजों को महसूस करने और उन्हें व्यक्त करने की अद्भुत क्षमता है, वह हमारे समय के बड़े रचनाकार हैं, आने वाला समय उनका मूल्यांकन करेगा। कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि सुनीता शानू ने अरविंद पथिक के साथ अपने पुराने दिनों को याद करते हुए आकाशवाणी, दूरदर्शन एवं विभिन्न साहित्यिक सामाजिक आयोजनों में उनके साथ की गई भागीदारी को रेखांकित किया। शिक्षाविद हारून अली ने कहा कि अरविंद पथिक का किसी संस्थान में होना उस संस्था न को मूल्यवान बनाता है। अरविन्द पथिक अनुशासन और कर्मठता का मूर्तिमंत स्वरूप हैं और वे उनके विद्यालय परिवार में कार्यक्रम का संचालन कर रहे हैं। सुप्रसिद्ध साहित्यकार नरेंद्र निहार ने अरविंद पथिक के साथ अपने पुराने संबंधों की चर्चा करते हुए उनके साहित्य के विविध आयामों कहानी, कविता, व्यंग्य,बाल साहित्य और इतिहास आदि पर अरविंद पथिक द्वारा किये जा रहे मौलिक कार्य की चर्चा की। इस अवसर पर शिकोहाबाद उत्तर प्रदेश से आए कवि प्रशांत उपाध्याय ने अपनी व्यंग्य रचनाओं के माध्यम से समकालीन राजनीति एवं साहित्य पर व्यंग्य किये, उन्होंने अरविंद पथिक के साथ अपने विगत दो दशकों के संबंध में के बारे में विस्तार से चर्चा करते हुए साहित्य और मंच पर उनकी उपस्थिति की आवश्यकता को रेखांकित किया। लखीमपुर खीरी से आए कवि श्रीकांत सिंह ने अरविंद पथिक के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर केंद्रित संस्मरण साझा किये। उनके साथ अपने पिछले 3 दशकों से अधिक के आत्मीय संबंधों की चर्चा करते हुए उन्होंने अपनी काव्यात्मक शुभकामनाओं के साथ अरविंद पथिक के लंबे जीवन की कामना की। मैगलगंज खीरी से आए गीतकार अरविंद कुमार ने सरस्वती वंदना के पश्चात अपने उद्बोधन में बताया कि किस तरीके से अरविंद पथिक नई पीढ़ी के रचनाकारों को न सिर्फ प्रश्रय देते हैं बल्कि उनकी कमियों की ओर भी स्पष्ट रूप से इंगित करते हैं। शुभकामनाओं के साथ-साथ अरविंद पथिक के 50 वर्ष की आयु और 30 वर्ष के साहित्यक जीवन पर संस्मरण साझा किये। ट्रू मीडिया ग्रुप के चेयरमैन ओमप्रकाश प्रजापति ने ट्रू मीडिया के साथ अरविंद पथिक के जुड़ाव की चर्चा करते हुए अरविंद पथिक के साहित्यक सामाजिक अवदान और लोकार्पित अंक के संपादन के अपने संस्मरण साझा किए। इस अवसर पर साहित्य और समाज से जुड़े पचास से अधिक गणमान्य साहित्यकारों और सामाजिक सांस्कृतिक जगत की महत्वपूर्ण हस्तियों ने अरविंद पथिक को स्वर्ण जयंती वर्ष की बधाई दी। इस अवसर पर साहित्यकारों को ट्रू मीडिया सम्मान -2022 से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में अपने उद्बोधन में अरविंद पथिक ने अपनी साहित्यिक यात्रा की चर्चा करते हुये सभी का आभार व्यक्त किया एवं अपनी रचनाएं साझा की। उनकी, छत कविता ने गहरा असर छोडा इस अवसर पर पंकज प्रथम, डा. चंद्रमणि ब्रह्मदत्त, संगीता सिंह, डा. रामानंद, विनोद पांडेय, डॉ. पुष्पा जोशी ने भी विचार व्यक्त किये। गीतांजलि अरोड़ा, वीरेंद्र सिंह, राजेश वर्मा, इला जायसवाल, आचार्य देवेंद्र आर्य, रीता जयहिंद, सीमा सागर शर्मा, डॉ. अवधेश तिवारी भावुक, विनोद पराशर, अशोक कुमार, राजेंद्र कुमार मिश्र, आलोक भटनागर भी इस अवसर पर उपस्थित थे।