पूरे देश से हजार से अधिक कर्मचारियों और अधिकारियों ने लिया भाग
दिल्ली परिसंघ इकाई के सफल आयोजन की दी बधाई
परिसंघ के महिला प्रकोष्ठ को और मजबूत करने पर जोर
नई दिल्ली, 8 जुलाई 2017, अनुसूचित जाति/जनजाति संगठनों का अखिल भारतीय परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. उदित राज ने आज मावलंकर हाल, कांस्टिट्यूशन क्लब, नई दिल्ली में देशभर से आये हजारों कर्मचारियों, अधिकारियों एवं सामाजिक कार्यकर्ताओं को संबोधित किया | उन्होंने नवनियुक्त दिल्ली परिसंघ इकाई की पूरी टीम को इतने शानदार आयोजन के लिए बधाई दी | सम्मलेन का मकसद दलित आदिवासी के माध्यम से न केवल इनका मान-सम्मान एवं सशक्तिकरण होगा बल्कि राष्ट्र की बेहतर सेवा हो सके | परिसंघ निजी क्षेत्र में आरक्षण के लिए 2003 -04 से संघर्ष कर रहा है और उसकी वजह से यह राष्ट्रीय मुद्दा बना भी | समाज से जो समर्थन मिलना चाहिए वह न मिल सका जिसकी वजह से कई सारी मांगे पदोन्नति में आरक्षण, न्यायपालिका में आरक्षण, जाति प्रमाण पत्र आदि मांगे पूरी न हो सकी | दलित आदिवासी समाज राजनैतिक शक्ति के सहारे न रहे जैसे कि जाट और पटेल समाज जिसने राजनैतिक नेत्रत्व को दरकिनार करके सड़कों पर उतरा और उनकी मांगे पूरी की |
डॉ. उदित राज ने कहा लोगों को परिसंघ में देने के लिए आना है न कि लेने के लिए | जितना मिला है अगर उसमे संतुष्टि नहीं है तो परिसंघ क्या संतुष्ट कर पायेगा इसलिए उनसे अनुरोध है कि परिसंघ में यह सोंच कर जुड़े कि समाज के लिए त्याग करना है न कि प्राप्त करना | परिसंघ की स्थापना वर्ष 1997 में पांच आरक्षण विरोधी आदेशों की वापसी के लिए हुआ था और संघर्ष के कारण तीन संवैधानिक संसोधन हुए और तभी जाकर आरक्षण बच पाया| परिसंघ दिल्ली इकाई के अध्यक्ष सत्यनारायण ने कहा कि मैं और मेरी टीम राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. उदित राज का धन्यवाद करती है | कि उन्होंने इतना विश्वास हमारे ऊपर किया | दिल्ली परिसंघ देश के सभी राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा सशक्त और मजबूत करने का प्रयास करेगा | दिल्ली परिसंघ लगातार 20 सूत्रीय कार्यक्रम के तहत मिली हुई जमीन की भूमिधारी का अधिकार लड़ रहा है | दिल्ली से ठेकेदारी प्रथा, आउटसोर्सिंग आदि की वजह से सरकारी नौकरियों मे भर्ती कम हो रही है | ऐसे में दलित, आदिवासी तेज़ी से बेरोजगार हो रहे है और भागेदारी घाट रही है | परिसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. उदित राज ने श्रीमती सविता कादयान पंवार को हाल ही में परिसंघ महिला का राष्ट्रीय संयोजक नियुक्त किया है | सविता जी तभी से दिल्ली और देश के कार्यों में जाकर प्रकोष्ठ को मजबूत करने का कार्य कर रही है | जिस रफ़्तार से उनके नेत्रत्व में कारवां बढ़ रहा है वह बहुत ही जल्दी देश में असर छोड़ेगा | सविता कादयान ने कहा फुले, साहू, अम्बेडकर की विचारधारा, जो समतामूलक विचारधारा है | पुरुष अपने लिए तो लागू करते है लेकिन जब अपनी समाज की महिलाओं की बात होती है तो उनकी भी वैसी ही सोंच होती है जैसे और समाज की | पुरुष अगर महिलाओं की आज़ादी, समानता एवं भागेदारी की लड़ाई लादे तो न केवल महिलाओं की भलाई होगी बल्कि संघर्ष के साथी भी होंगे | महिलाओं को लोक लज्जा और चरित्र के बंधन में दीवार ने कैद कर रखा है और इससे अभी भी भागेदारी, योगदान, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं आर्थिक जगट में नहीं के बराबर है |बाबा साहब अम्बेडकर बच्चो और महिलाओं को आर्थिक, सामाजिक एवं राजनैतिक क्षेत्र में बराबरी की दृष्टि से देखते है | न कि शुद्धता, पवित्रता और चरित्र से | पुरुष के लिए वर्जनाओं. परम्पराओं एवं रीतिरिवाज़ हैं वही महिलाओं के लिए भी होना चाहिए |
वैभव
मीडिया प्रभारी